What are Output Devices?


What is an Output Device?

An output device is any hardware component that receives data from the computer and presents it to the user in a readable form. These devices cannot send data back to the computer; they only receive it. The output can be in various forms—like display on a screen, sound from a speaker, or a printed page.

Examples of Output Devices: Monitor, Printer, Projector, Speaker, Plotter, Headphones, etc.


How Output Devices Work

The computer processes the input data with the help of the CPU, and then the output is sent to an output device. This output is in binary (digital) format. The output device converts it into a form that humans can understand—such as visuals, sound, or printed documents.


Types of Output Devices

There are mainly four types of output devices based on the type of output:

  1. Visual Output Devices (Display Devices)

  2. Audio Output Devices

  3. Print Output Devices

  4. Plotting Output Devices

Let’s understand each type in detail:


1. Monitor

A monitor is the most common output device. It displays text, images, and videos processed by the computer. It works just like a television screen.

Types of Monitors:

  • CRT (Cathode Ray Tube) – Old-style bulky monitors.

  • LCD (Liquid Crystal Display) – Lightweight, flat-screen monitors.

  • LED (Light Emitting Diode) – Advanced version of LCDs with better clarity and energy efficiency.

  • OLED (Organic LED) – High-quality display used in premium devices.

Use: Used in almost all computing tasks—browsing, designing, watching videos, etc.


2. Printer

A printer is used to get a hard copy (printed form) of documents, images, or files. It transfers digital text or images onto paper.

Types of Printers:

  • Inkjet Printer – Sprays ink on paper. Common in homes and offices.

  • Laser Printer – Uses laser technology. Fast and used in businesses.

  • Dot Matrix Printer – Old printer that uses pins and ink ribbon. Less common today.

  • Thermal Printer – Prints using heat. Mostly used in billing counters or ATMs.

Use: Used to print reports, assignments, receipts, etc.


3. Plotter

A plotter is a special output device used for printing high-quality graphics and large-size designs like blueprints, engineering drawings, and maps. It is mostly used by architects and engineers.

Types of Plotters:

  • Drum Plotter

  • Flatbed Plotter

Use: Used in technical and engineering fields where detailed line drawings are needed.


4. Projector

A projector takes images or videos from the computer and projects them onto a large screen or wall. It’s helpful for presentations, meetings, or watching movies.

Types of Projectors:

  • DLP (Digital Light Processing)

  • LCD (Liquid Crystal Display)

Use: Widely used in classrooms, offices, and theaters.


5. Speaker

Speakers are audio output devices that convert digital signals into sound. They let us hear music, alerts, and other sounds from the computer.

Types of Speakers:

  • Stereo Speakers

  • 5.1 Surround Sound

  • Bluetooth/Wireless Speakers

Use: Used for entertainment, video calls, gaming, and more.


6. Headphones or Earphones

Headphones are personal audio output devices worn over the ears. They allow a single user to hear audio privately without disturbing others.

Use: Useful for video calls, listening to music, and working in noisy environments.


Other Output Devices

Here are a few more examples of output devices:

  • Braille Reader – For visually impaired users. Converts text to braille.

  • GPS Display – Shows location and directions.

  • LED Indicators – Show status or signals using light.


Conclusion

Output devices are essential in making the computer’s work visible and understandable to users. Whether you’re watching a video on a monitor, listening to music through speakers, or printing a document, output devices help deliver the final result.

Understanding the types of output devices helps you choose the right one for your needs—whether it’s for work, study, or entertainment.

Output device in Hindi – आउटपुट डिवाइस क्या है?

  • Output device एक ऐसी डिवाइस होती है जिसका काम आउटपुट देने का होता है।
  • आउटपुट डिवाइस वह डिवाइस होती है जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर से मिलने वाले परिणाम को दिखाने के लिए किया जाता है।
  • इनपुट डिवाइस के द्वारा दिये गए इनपुट को कंप्यूटर में display (प्रदर्शित) करना output device का कार्य है।
  • दूसरे शब्दों में कहें तो, “आउटपुट डिवाइस एक हार्डवेयर है जो कि data को प्राप्त करता है और उस data को दूसरे रूप में बदल देता है।”
  • आउटपुट डिवाइस इनपुट डिवाइस का उल्टा होता है। इनपुट डिवाइस के द्वारा कंप्यूटर को data भेजा जाता है जबकि आउटपुट डिवाइस कंप्यूटर से डाटा को प्राप्त करता है।
  • Output device वह डिवाइस होता है जो computer से डाटा को प्राप्त करके उस डाटा को Text , वीडियो और ऑडियो के form (रूप) में बदल देता है।
  • Output device के कुछ अच्छे उदहारण है – मॉनिटर (monitor), प्रोजेक्टर (projector) , हेडफ़ोन, स्पीकर, और प्रिंटर आदि।

Types of Output Device in Hindi – आउटपुट डिवाइस के प्रकार

इसके बहुत सारें प्रकार होते हैं जो कि नीचे दिए गए हैं-

  1. Monitor (मॉनिटर)
  2. Printer (प्रिंटर)
  3. Plotter (प्लॉटर)
  4. Projector (प्रोजेक्टर)
  5. Speaker (स्पीकर)
  6. Headphone (हैडफ़ोन)
  7. Sound Card (साउंड कार्ड)
  8. Video Card (विडियो कार्ड)
  9. GPS (जीपीएस)
  10. Speech Synthesizer (स्पीच सिंथेसाइज़र)

Monitor (मॉनिटर क्या है?)

  • मॉनिटर कंप्यूटर का एक प्रमुख आउटपुट डिवाइस है। इसे कभी-कभी visual display unit (VDU) भी कहा जाता है।
  • मॉनिटर वीडियो, ऑडियो, इमेज और text को कंप्यूटर में दिखाता है।
  • यह एक TV की तरह ही होता है परंतु इसका resolution टेलीविज़न (TV) से अधिक होता है।
  • 1 मार्च 1963 को सबसे पहले कंप्यूटर मॉनिटर को विकसित किया गया था।
  • जब monitor किसी डाटा को अपनी screen में डिस्प्ले करता है तो उस डाटा को pixel के रूप में जाना जाता है।

मॉनिटर के प्रकार

मॉनिटर 6 प्रकार के होते हैं –

  1. Cathode Ray Tube (CRT) Monitor
  2. Flat Panel Monitor
  3. Touch screen monitor
  4. LED Monitor
  5. OLED Monitor
  6. DLP Monitor

1 – Cathode Ray Tube (CRT) Monitors –

CRT Monitor स्क्रीन पर चित्र को दिखाने के लिए electronic beam का इस्तेमाल करते है। इस इलेक्ट्रॉनिक बीम के अंदर एक प्रकार की gun (बंदूक) होती है। जो इलेक्ट्रॉनिक किरणों को आग लगाने में मदद करती है। जिसके कारण इलेक्ट्रॉनिक किरणे मॉनिटर की सतह पर बार बार टकराती है।

इलेक्ट्रॉनिक किरणों के सतह पर टकराने की वजह से मॉनिटर में अलग-अलग प्रकार के रंग पैदा होते है और इन्ही रंगो के कारण मॉनिटर में इमेज या वीडियो display होती है।

2. Flat Panel Monitors

फ्लैट पैनल मॉनिटर में बहुत ही पतले (Thin) पैनल का इस्तेमाल किया जाता है।

ये मॉनिटर वजन में काफी हल्के होते है और इनको रखने के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है। हल्के होने की वजह से इस मॉनिटर को हम अपने साथ कहीं भी आसानी से ले जा सकते हैं।

CRT मॉनिटर की तुलना में flat panel monitor बहुत कम बिजली का इस्तेमाल करते हैं।

ये मॉनिटर रेडिएशन (radiation) के मामले में भी काफी अच्छे होते है। क्योकि ये नुकसान दायक radiation उत्पन्न नहीं करते।

CRT की तुलना में ये monitor थोड़े महंगे होते है।

फ्लैट पैनल मॉनिटर का उपयोग TV,, computer, और  मोबाइल फ़ोन की स्क्रीन में किया जाता है।

3Touch Screen Monitors

टच स्क्रीन मॉनिटर को इनपुट और आउटपुट दोनों डिवाइस के रूप में जाना जाता है। क्योकि टच स्क्रीन मॉनिटर में हम बिना किसी keyboard और mouse के कंप्यूटर को input दे सकते है।

इस मॉनिटर में हम स्क्रीन को touch करके किसी भी program को आसानी से open कर सकते है और फिर उसमें काम कर सकते हैं।

4LED Monitors

LED monitor फ्लैट पैनल मॉनिटर की तरह वजन में हल्के होते है।

 LED monitor का उपयोग लैपटॉप, मोबाइल फोन, टीवी, कंप्यूटर, और टैबलेट के लिए किया जाता है।

इसका अविष्कार James P. Mitchell ने किया था। इसके अलावा यह ज्यादा expensive (महंगा) नहीं होता। इसको maintain करके रखना काफी ज्यादा आसान होता है।

5OLED Monitors

OLED का पूरा नाम Organic Light Emitting Diode है। OLED मॉनिटर एक नया मॉनिटर है  जिसमें बहुत अच्छे Color दिखते हैं और यह मॉनिटर बहुत पतला होता है।

यह मॉनिटर यूज़र को एक बेहतर experience देता है। इसका उपयोग smartphone और tablet की स्क्रीन बनाने के लिए किया जाता है।

6– DLP Monitor

DLP monitor को डिजिटल लाइट प्रोसेसिंग भी कहा जाता है। DLP monitor का इस्तेमाल बड़ी स्क्रीन में चित्रों को display करने के लिए किया जाता है।

शुरुआती दौर में DLP बड़ी स्क्रीन में चित्रों को धुँधला दिखाया करती थी। क्योकि उस समय DLP में LCD का इस्तेमाल किया जाता था। आजकल DLP बड़ी स्क्रीन में चित्रों को display करने के लिए micromirror device का इस्तेमाल करती है।

मॉनिटर के फायदे –

इसके फायदे निम्नलिखित हैं-

  1. आजकल ऐसे मॉनिटर आ गए हैं जो बहुत कम बिजली का इस्तेमाल करते हैं।
  2. इसके द्वारा यूज़र किसी भी चीज़ को देखकर आसानी से समझ सकता है। 

मॉनिटर के नुकसान –

  1. कुछ ऐसे monitor होते हैं जो radiation (रेडिएशन) पैदा करते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
  2. कुछ monitors को maintain करके रखना काफी ज्यादा मुश्किल होता है।
  3. मॉनिटर का price (मूल्य) ज्यादा होता है।
  4. मॉनिटर को रखने के लिए ज्यादा space (जगह) की जरूरत होती है।

Printer (प्रिंटर क्या है?)

  • प्रिंटर एक output device है जिसके द्वारा हम कंप्यूटर में मौजूद text और image को कागज में प्रिंट कर सकते हैं।
  • यह एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो कंप्यूटर की soft copy को hard copy में बदलने का काम करता है।

प्रिंटर का चित्र

प्रिंटर के प्रकार

प्रिंटर के 5 प्रकार होते हैं –

1 – Laser Printer (लेज़र प्रिंटर)

Laser printer का इस्तेमाल कागज में text और images को प्रिंट करने के लिए किया जाता है।

लेज़र प्रिंटर कागज में text और images प्रिंट करने के लिए laser light का इस्तेमाल करता है।

लेज़र प्रिंटर के अंदर सिलिंडर के आकार का एक drum मौजूद होता है।जिस ड्रम को Photoreceptor के रूप में जाना जाता है। 

2Photo printer (फ़ोटो प्रिंटर)

Photo printer के द्वारा बहुत ही ज्यादा हाई क्वालिटी की डिजिटल फ़ोटो को प्रिंट कर सकते हैं।

इसका इस्तेमाल photo paper के ऊपर फ़ोटो को प्रिंट करने के लिए किया जाता है। फोटो पेपर दिखने में बिलकुल सफेद रंग के होते है।

Photo printer में इस्तेमाल किये जाने वाले फोटो पेपर के ऊपर एक लेयर होती है। जो बिलकुल oily (चिकनी) होती है। फोटो प्रिंटर के द्वारा सभी आकार की फ़ोटो को प्रिंट किया जा सकता है।

3- Color Printer (कलर प्रिंटर)

कलर प्रिंटर CMYK कलर मॉडल पर आधारित होता है। CMYK कलर मॉडल के अंदर चार प्रकार के रंग शामिल होते है – Cyan (सियान),  Magenta (मजेंटा), Yellow (पीला) और Black (काला).

CMYK मॉडल इन सभी रंगो को एक दूसरे के साथ प्रिंट करता है। कलर प्रिंटर एक से ज्यादा रंगो को प्रिंट करने की क्षमता रखते है।

Color printer का इस्तेमाल ज्यादातर किताबो , कागज सामग्री और पत्रिकाओं की छपाई के लिए किया जाता है।

4- Inkjet Printer (इंकजेट प्रिंटर)

इंकजेट प्रिंटर एक ऐसा प्रिंटर है जिसमें किसी कागज में print करने के लिए ink (स्याही) का इस्तेमाल किया जाता है।

इंकजेट प्रिंटर का इस्तेमाल हाई क्वालिटी छपाई के लिए किया जाता है। इंकजेट प्रिंटर output देने में ज्यादा समय का वक़्त नहीं लगाते है। इंकजेट प्रिंटर ज्यादा expensive (महँगे) नहीं होते।

5- Digital Printer (डिजिटल प्रिंटर)

डिजिटल प्रिंटर का इस्तेमाल डिजिटल फाइल्स को प्रिंट करने के लिए किया जाता है। जो फाइल TIFF, PDF etc के फॉर्मेट में होती है।

डिजिटल प्रिंटर में printing plate की ज़रूरत नहीं पड़ती। डिजिटल प्रिंटर paper, fabric, canvas, और cardstock पर डाटा को सीधे प्रिंट कर देता है।

डिजिटल प्रिंटर का उपयोग दूकान , बिज़नेस कार्ड , और letterheads के लिए किया जाता है।

Advantages of Printer in Hindi – प्रिंटर के फायदे

  1. प्रिंटर की मदद से data को हार्डकॉपी में print कर सकते है।
  2. यह text, फ़ोटो और ग्राफिवस को किसी भी size में प्रिंट करने की छमता रखता है।
  3. इसकी मदद से डाटा को आसानी से समझा और पढ़ा जा सकता है।

Disadvantage of Printer in Hindi – प्रिंटर के नुकसान

  1. प्रिंटर काफी ज्यादा expensive (महँगे) होते है। इसके अलावा प्रिंटर को maintain करके रखने में काफी ज्यादा पैसे खर्च होते है।
  2. इसमें पेपर waste (बर्बाद) भी होता है। क्योकि इसके द्वारा कुछ डाटा सही तरीके से प्रिंट नहीं हो पाता। जिसकी वजह से पेपर के बर्बाद होने का खतरा बना रहता है।

Plotter (प्लॉटर क्या है?)

  • प्लॉटर एक ऐसी आउटपुट डिवाइस है जो high quality के ग्राफ़िक्स को प्रिंट करने में मदद करता है।
  • Plotter के अंदर अलग अलग प्रकार के रंग होते है।
  • प्लॉटर printer की तरह ही काम करता है। लेकिन इसमें हाई क्वालिटी के ग्राफ़िक्स को प्रिंट करने की छमता होती है।
  • इसके अलावा plotter का इस्तेमाल 3D पोस्टर , 3D इमेज , 3D डिज़ाइन प्रिंट करने के लिए भी किया जाता है।

Types of Plotter in Hindi – प्लॉटर के प्रकार

1 – Drum Plotter (ड्रम प्लॉटर)

Drum plotter को roller plotter भी कहते हैं। इसमें एक drum या roller होता है जिसमें paper (कागज़) को रखा जाता है। 

इसमें drum कागज को दायीं और बायीं तरफ घुमाता है। परन्तु इसमें प्रिंटिंग का काम pen करती है।

2Flat Bed Plotters

Flat bed plotter एक ऐसा ग्राफ़िक्स प्लॉटर है जिसमें कागज को flat surface (सपाट सतह) पर रखा जाता है। इसमें surface का size जितना बड़ा होगा उतना ही बड़ा drawing का साइज होगा।

कुछ flatbed plotter ऐसे होते है जो पेपर की बजाय कार्डबोर्ड, प्लास्टिक और metal (धातु) में भी प्रिंट करते हैं।

इसमें graphics और pictures को draw करने के लिए pen का इस्तेमाल किया जाता है।

Flat bed plotter का इस्तेमाल चमकदार और रगीन ग्राफ़िक्स बनाने के लिए किया जाता है। इसके लिए इसमें अलग-अलग रंगो का इस्तेमाल किया जाता है।

3 – Ink Jet Plotters

Inkjet plotter सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला प्लॉटर है। इसकी खासियत यह है कि इसमें high quality में प्रिंट कर सकते हैं।

इस प्लॉटर में, image या graphics को प्रिंट करने के लिए कागज में ink की छोटी-छोटी बूंदे डाली जाती है।

इस प्लॉटर का इस्तेमाल बहुत बड़े-बड़े banner और billboard को बनाने के लिए किया जाता है।

इंकजेट प्लॉटर में प्रिंटिंग के लिए चार रंगो (Cyan, magenta, yellow और black) का इस्तेमाल किया जाता है। क्योकि इंकजेट प्लॉटर के पास चार प्रकार के कलर ही उपलब्ध है।

इंकजेट प्लॉटर की स्याही बिलकुल पानी की तरह पतली होती है। जिसके कारण प्रिंटिंग करते वक़्त कागज ज्यादा भारी नहीं होता। कहने का मतलब है की स्याही बिलकुल हल्की होती है जिसके कारण प्रिंट की हुई चीज़ कागज के उपर बिलकुल हल्के हो जाते है।

Advantage of Plotter in Hindi – प्लॉटर के फायदे

  1. प्लॉटर high quality के ग्राफ़िक्स और image बनाने में मदद करता है।
  2. यह उच्च स्तर का resolution प्रदान करता है।
  3. इसमें यूजर को ग्राफ़िक्स या इमेज प्रिंट करने के लिए ज्यादा option मिल जाते है।

Disadvantage of Plotter in Hindi – प्लॉटर के नुकसान

  1. इसमें मैमोरी बहुत कम होती है।
  2. printer की तुलना में plotter काफी ज्यादा expensive (महँगे) होते है।

Projector (प्रोजेक्टर क्या है?)

  • Projector एक तरह का output डिवाइस है जो वीडियो या चित्र को बड़े स्क्रीन या दीवार में display करने में मदद करता है।
  • सरल शब्दो में कहे तो “प्रोजेक्टर एक ऑप्टिकल डिवाइस है जिसके द्वारा हम वीडियो या इमेज को बहुत बड़े साइज में दिखा सकते है।”
  • इसका इस्तेमाल कॉलेज में बहुत सारें students को पढ़ाने के लिए किया जाता है। जिससे कि सारें students वीडियो को देख पाए।

Types of projector in Hindi – प्रोजेक्टर के प्रकार

1. 4K projector

4K प्रोजेक्टर की मांग मार्किट में सबसे ज्यादा होती है। क्योकि यह प्रोजेक्टर काफी ज्यादा लोकप्रिय होते है।

4K projector को Bluetooth, Wi-Fi, और USB की मदद से कंप्यूटर के साथ जोड़ा जा सकता है।

4K प्रोजेक्टर DLP टेक्नोलॉजी पर आधारित है। इसके अलावा इन प्रोजेक्टर का वजन लगभग 865 ग्राम के आस पास होता है। 4K projector को चलाने के लिए बैटरी की ज़रूरत नहीं पड़ती।

2.LED projector

LED projector को मोबाइल , लेपटॉप जैसे डिवाइस के साथ आसानी से connect किया जा सकता है।

LED प्रोजेक्टर स्क्रीन को डिस्प्ले करने के लिए LED लाइट का इस्तेमाल करते है। जिसके कारण इमेज और वीडियो high quality की दिखाई देती है।

इसके अलावा LED प्रोजेक्टर को remote के द्वारा भी कण्ट्रोल किया जा  सकता है। और इस प्रोजेक्टर के अंदर एक छोटे पंखे को लगाया जाता है। जो LED प्रोजेक्टर को गर्म नहीं होने देता।

3.LCD projector

LCD projector को slide और overhead प्रोजेक्टर के रूप में भी जाना जाता है। यह प्रोजेक्टर सपाट सतह पर वीडियो और चित्र को display करता है।

यह किसी इमेज या वीडियो को दिखाने के लिए liquid crystal का इस्तेमाल करता है।

 LCD प्रोजेक्टर को maintain करके रखना पड़ता है और समय समय पर इस प्रोजेक्टर को filter की ज़रूरत पड़ती है।

 4.Nebula Projector

Nebula Projector को mini प्रोजेक्टर के रूप में भी जाना जाता है। क्योकि यह एक छोटा portable प्रोजेक्टर है।

यह प्रोजेक्टर wireless होता है। यानी बिना किसी USB डिवाइस की मदद के बिना nebula प्रोजेक्टर को कंप्यूटर के साथ connect किया जा सकता है।

इसके अलावा यह प्रोजेक्टर hd स्क्रीन डिस्प्ले करने की छमता रखता है। Nebula projector वजन में काफी ज्यादा हल्के होते है।

5.Light Projector

light projector को इमेज और वीडियो को प्रोजेक्ट करने के लिए नहीं किया जाता। बल्कि इस प्रोजेक्टर का इस्तेमाल घर की सजावट के लिए किया जाता है। यानी लाइट प्रोजेक्टर की रौशनी के कारण घर को सजाया जा सकता है।

पुराने समय में लाइट प्रोजेक्टर के अंदर speaker और voice control की सुविधा नहीं होती थी। लेकिन लाइट प्रोजेक्टर के नए version में speaker और voice control की सुविधा उपलब्ध है।

इसके अलावा लाइट प्रोजेक्टर में चमक को कण्ट्रोल किया जा सकता है। यानी user अपने अनुसार लाइट को set कर सकता है।

Advantage of Projector in Hindi – प्रोजेक्टर के फायदे

1- projector छोटे आकार वाली images और video को बड़े आकार में डिस्प्ले करने की छमता रखता है।

2- प्रोजेक्टर की मदद से student आसानी से  किसी भी concept को समझ सकता है।

3- इसमें हम अपनी इच्छा अनुसार इमेज और वीडियो का size बड़ा छोटा कर सकते है।

Disadvantages of Projector in Hindi – प्रोजेक्टर के नुकसान

1- इसको maintain करके रखना काफी ज्यादा मुश्किल होता है।

2- इसको चलाने के लिए dark room (अंधेर कमरे) की ज़रूरत पड़ती है। किसी भी स्थान या कमरे में प्रोजेक्टर को चलाया नहीं जा सकता।

3- इसमें sound के लिए अलग से ऑडियो सिस्टम लगाना पड़ता है।

Speaker (स्पीकर क्या है?)

  • Speaker एक आउटपुट डिवाइस है जो sound (ध्वनि) को उत्पन्न करता है।
  • स्पीकर को चलाने के लिए sound card की ज़रूरत पड़ती है।
  • स्पीकर को computer के साथ कनेक्ट करने के लिए ब्लूटूथ , USB और wifi का इस्तेमाल किया जाता है।
  • स्पीकर काफी हल्के डिवाइस होते है जो अलग अलग size में उपलब्ध है।

Types of Speaker in Hindi – स्पीकर के प्रकार

1. Portable Bluetooth speaker

यह speaker कंप्यूटर डिवाइस के साथ bluetooth की मदद से कनेक्ट होते है। इसके अलावा android मोबाइल , लेपटॉप के साथ भी portable bluetooth speaker को जोड़ा जा सकता है।

यह स्पीकर साइज में काफी छोटे और हल्के होते है। जिसे कोई भी user किसी भी स्थान पर लेकर जा सकता है।

इसके अलावा पोर्टेबल ब्लूटूथ स्पीकर को कोई भी user अपने bag में चिपका सकता है। या कहे अपने bag में टांग सकता है।

2. Wireless Speakers

वायरलेस स्पीकर को कंप्यूटर डिवाइस के साथ connect करने के लिए wifi और bluetooth का इस्तेमाल किया जाता है। वायरलेस स्पीकर साइज में थोड़े बड़े होते है। इसके अलावा इन स्पीकर का वजन थोड़ा ज्यादा होता है।

3. Built-in Speakers

Built-in speaker का उपयोग स्टीरियो सेट, टीवी, लैपटॉप और अन्य electronic डिवाइस में किया जाता है।

यह स्पीकर ज्यादा मात्रा में ध्वनि को उतपन नहीं कर सकते। क्योकि built in speaker में ध्वनि उतपन करने की एक सीमा होती है। यह स्पीकर आकार में छोटे होते है और कम वजन वाले होते है।

4.Subwoofer

यह कम frequency वाला स्पीकर है। जिसकी आवाज लगभग 80 hertz की है। Subwoofer में ध्वनि को tracks में capture किया जाता है। subwoofer को   कम bass वाली frequency के लिए डिज़ाइन किया गया है।

5.Woofer

woofers का उपयोग ज्यादातर home cinema में किया जाता है। woofers लगभग 80 से 1000 hertz ध्वनि को उतपन करने की छमता रखते है। woofers इस्तेमाल loudspeaker के रूप में भी किया जाता है।

woofers आकार में बड़े होते है। इसके अलावा वूफर्स बहुत ज्यादा मात्रा में ध्वनि उतपन कर सकते है। user अपने इच्छा अनुसार ध्वनि को कम या ज्यादा कर सकता है।

Advantage of speaker in Hindi – स्पीकर के फायदे

1- स्पीकर के द्वारा हम आवाज को आसानी से सुन सकते है।

2- इसकी मदद से एक ही समय मे बहुत सारें लोग आवाज को सुन सकते हैं।

3- इसको लैपटॉप , मोबाइल, या डेस्कटॉप के साथ कनेक्ट करना काफी ज्यादा आसान होता है।

Disadvantages of Speaker in Hindi – स्पीकर के नुकसान

1- यह बहुत ज्यादा आवाज करते हैं जिससे कुछ लोग इससे परेशान होने लगते है।

2- इसके कारण बहुत ज्यादा मात्रा में noise pollution (ध्वनि प्रदूषण) होता है।

3- इसमें कई बार connectivity issues आने लगते है। यानी कई बार ऐसा होता है की स्पीकर डिवाइस के साथ connect नहीं होता।

4- कुछ ऐसे स्पीकर होते हैं जिनका size काफी बड़ा होता है जैसे कि – शादी में use होने वाले स्पीकर। इन speakers को किसी एक स्थान पर लाने में बहुत दिक्कत होती है।

Headphone (हैडफ़ोन क्या है?)

  • Headphone एक आउटपुट डिवाइस है जिसका इस्तेमाल आवाज या गानों को सुनने के लिए किया जाता है। इसे कभी-कभी earphone भी कहा जाता है।
  • इसका इस्तेमाल एक समय में केवल एक व्यक्ति ही कर सकता है। इसमें छोटे-छोटे दो स्पीकर लगे होते हैं।
  • Headphone का आकार काफी ज्यादा छोटा होता है। इसके अलावा हैडफ़ोन का वजन काफी हल्का होता है। headphone को किसी भी स्थान में लेकर जा सकते है।

Types of Headphone in Hindi – हैडफ़ोन के प्रकार

1.Closed Back Headphone

Closed back headphone का उपयोग शोर को रोकने के लिए किया जाता है। यानी user इस headphone का इस्तेमाल बाहरी ध्वनि के बचाव के लिए करता है।

यह headphone आकार में छोटे होते है। इसके अलावा closed back headphone ज्यादा expensive (महँगे) नहीं होते।

2.Open-Back Headphones

Open back headphone खुली और हवादार ध्वनि produce करते है। इस हैडफ़ोन में बाहरी सतह पर छोटे छोटे छेद होते है। जिसके कारण open back headphone में हवा cross (आर-पार) हो सकती है।

3.On Ear Headphone

On ear headphone आकार में थोड़े छोटे होते है। इसके अलावा इनका वजन भी काफी हल्का होता है। ऑन एअर हैडफ़ोन को Supra-aural headphone के रूप में भी जाना जाता है। यह headphone यूजर के लिए काफी comfortable होते है। क्योकि दुसरे headphones की तुलना में इसका आकार छोटा होता है।

Advantage of Headphone in Hindi – हैडफ़ोन के फायदे

1- हैडफ़ोन user को बाहरी ध्वनि यानी शोर शराबे से बचाता है।

2- ये ज्यादा expensive नहीं होते।

3- इसको किसी भी स्थान में लेकर जाया जा सकता है।

Disadvantage of Headphone in Hindi – हैडफ़ोन के फायदे

1- इसकी ध्वनि (sound) सिमित (limited) होती है अर्थात ये ज्यादा तेज आवाज पैदा नही कर सकते।

2- इसकी वजह से कान में infection होने का खतरा बना रहता है।

3- ज्यादा headphone के उपयोग से कान में दर्द होने लगता है।

Sound card (साउंड कार्ड क्या है?)

  • साउंड कार्ड एक ऐसी आउटपुट डिवाइस है जिसको कंप्यूटर की मदरबोर्ड में insert किया जाता है। साउंड कार्ड की मदद से कंप्यूटर की आवाज को बेहतर बनाया जाता है जिससे कि यूजर आवाज को आसानी से सुन सके।
  • साउंड कार्ड का इस्तेमाल ज्यादातर game खेलने, music सुनने या मूवी देखने के लिए किया जाता है।
  • Sound card दो प्रकार के होते हैं – Internal और External.
  • सबसे पहले साउंड कार्ड का अविष्कार 1972 में Sherwin Gooch ने किया था।
  • साउंड कार्ड को audio adapter भी कहा जाता है।

Video card (वीडियो कार्ड क्या है?)

  • वीडियो कार्ड एक output device है जो कि मदरबोर्ड से जुड़ा रहता है। इसकी मदद से वीडियो और ग्राफ़िक्स की quality को बढ़ाया जाता है।
  • वीडियो कार्ड का ज्यादातर इस्तेमाल game खेलने के लिए किया जाता है।
  • आजकल के कंप्यूटर में वीडियो कार्ड पहले से ही मौजूद होता है इसलिए हमें इसे खुद से डालने की जरूरत नही पड़ती।
  • वीडियो कार्ड बहुत ज्यादा गर्मी पैदा करते हैं इसलिए इसमें heat sink की जरूरत पड़ती है।
  • Video card को Graphics card भी कहते हैं।

GPS (जीपीएस क्या है?)

  • GPS का पूरा नाम global positioning system होता है। यह एक आउटपुट डिवाइस है जिसकी मदद से डिवाइस की location का पता लगाया जाता है।
  • यह रेडियो पर आधारित navigation system है जो किसी location (स्थान) का पता लगाने के लिए रेडियो सिग्नल का इस्तेमाल करता है।
  • GPS में 24 satellite होती है।
  • आजकल हमारे फ़ोन में google map होता है जिसकी मदद से हम किसी भी स्थान पर आसानी से जा सकते हैं।

Speech synthesizer (स्पीच सिंथेसाइज़र क्या है?)

  • Speech synthesizer एक ऐसी डिवाइस है जो text को speech में बदल देती है।
  • Speech synthesizer एक कार्ड होता  है। जो कंप्यूटर के साथ जुड़ा रहता है।

Advantage of Speech synthesizer in Hindi – स्पीच सिंथेसाइज़र के फायदे

1- इसको इस्तेमाल करने के लिए ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ते।

2- Synthesized Speech डिवाइस को user के द्वारा कण्ट्रोल किया जा सकता है।

3- यह text को स्पीच में बदलने में ज्यादा समय नहीं लगाता।

स्पीच सिंथेसाइज़र के नुकसान

1- Synthesized Speech डिवाइस में गलतिया होने के chance बने रहते है।

  1. इसमें background की noise को फ़िल्टर करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

Applications of Output Device in Hindi – आउटपुट डिवाइस के अनुप्रयोग

इसका इस्तेमाल बहुत सारें जगहों में किया जाता है-

1- Output device का इस्तेमाल user को डाटा भेजने के लिए किया जाता है।

2- इसका उपयोग data को display करने के लिए किया जाता है।

3- इसका उपयोग data को ध्वनि (sound) में बदलने के लिए किया जाता है।

4- आउटपुट डिवाइस का उपयोग data के size बढ़ाने के लिए किया जाता है।

5- इसका इस्तेमाल physical reproduction के लिए किया जाता है।

आउटपुट डिवाइस और इनपुट डिवाइस के बीच अंतर

आउटपुट डिवाइस इनपुट डिवाइस
यह यूजर को data देता है. यह users से data को लेता है.
इसे प्रोसेसर कमांड देता है. इसे यूजर command देता है.
यह प्रोसेसर से processed data लेता है और फिर उसे user को देता है. यह user से data लेता है और उसे प्रोसेसर को भेजता है.
इनका design कम complex होता है. इनका design ज्यादा complex होता है.
यह machine के instruction को user के द्वारा समझने वाले instruction में बदलता है. यह user के द्वारा दिए गये instruction को machine instruction में बदल देता है.

   

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